tag:blogger.com,1999:blog-6719010601657833346.post6343790887993091229..comments2019-10-29T03:59:41.276-07:00Comments on गीली बाती: माटी की मूरतेंगीली बातीhttp://www.blogger.com/profile/08221857810284425687noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6719010601657833346.post-41731210583725080272012-11-10T22:49:27.118-08:002012-11-10T22:49:27.118-08:00सबको अपना रूप खटकता,
नहीं श्रेय जो रचनाकृत था।सबको अपना रूप खटकता,<br />नहीं श्रेय जो रचनाकृत था।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6719010601657833346.post-9601381321541454382012-11-10T04:44:12.880-08:002012-11-10T04:44:12.880-08:00आचार्य जी ,
प्रणाम
हालाँकि मैं कभी आपके स्कूल मे...आचार्य जी , <br />प्रणाम <br />हालाँकि मैं कभी आपके स्कूल में तो नहीं पढ़ सका , लेकिन आपके बारे में इतना सुना है कि आपका शिष्य जरूर हूँ और आपको एक आदर्श मानता हूँ |<br />आपकी कविता के विषय में मुझे कुछ भी कहने का कोई अधिकार नहीं , मैं बस अपनी लिखी कुछ पंक्तियाँ लिखना चाहता हूँ -<br />रोज सुबह पूरब से कुछ सोंधी सी खुशबू आती है ,<br />रोज मेरे गाँव में शायद , बारिश होती होगी |<br /><br />सादरAkash Mishrahttps://www.blogger.com/profile/00550689302666626580noreply@blogger.com